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दिन हो या फिर रात कभी महजब कभी जात तो कभी ओकात ,,

दिन हो या फिर रात 
कभी महजब कभी जात तो कभी ओकात ,,
ये कमबख्त इन्सान ना जाने कब करना सीखेंगे
 इन्सानियत की बात,,


✍️मस्तान सांघण

©मस्तान सिंह ( Happy Singh ) Mastan Singh
दिन हो या फिर रात 
कभी महजब कभी जात तो कभी ओकात ,,
ये कमबख्त इन्सान ना जाने कब करना सीखेंगे
 इन्सानियत की बात,,


✍️मस्तान सांघण

©मस्तान सिंह ( Happy Singh ) Mastan Singh