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शिकबों और कुंठाओ का अम्बर छुपा रखा था, दोस्ती की आ

शिकबों और कुंठाओ का अम्बर छुपा रखा था,
दोस्ती की आड़ में सीने में खंज़र छुपा रखा था,
यूँ तो जब भी मिले मुस्कराहटों से सामना हुआ,
 मुस्कानों में कटीले घास का जंगल छुपा रखा था,
उनकी दोस्ती की ख़ातिर हम जान हथेली लिये बैठे थे,
यारों ने जीते जी मौत का मंज़र दिखा रखा था,
की नहीं जानते सांपों को दूध पिला रहे थे हम ,
इन आस्तीन के सापों ने पूरा लश्कर बना रखा था,
दोस्त थे हम दोस्ती का फर्ज बखूबी निभाते रहे
इन दोस्तों ने दोस्ती के नाम क्या रंग जमा रखा था, #december #day12 #dosti
शिकबों और कुंठाओ का अम्बर छुपा रखा था,
दोस्ती की आड़ में सीने में खंज़र छुपा रखा था,
यूँ तो जब भी मिले मुस्कराहटों से सामना हुआ,
 मुस्कानों में कटीले घास का जंगल छुपा रखा था,
उनकी दोस्ती की ख़ातिर हम जान हथेली लिये बैठे थे,
यारों ने जीते जी मौत का मंज़र दिखा रखा था,
की नहीं जानते सांपों को दूध पिला रहे थे हम ,
इन आस्तीन के सापों ने पूरा लश्कर बना रखा था,
दोस्त थे हम दोस्ती का फर्ज बखूबी निभाते रहे
इन दोस्तों ने दोस्ती के नाम क्या रंग जमा रखा था, #december #day12 #dosti