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आज का टोपिक था सपने.... पैसों को बटोरने का अभी कोई

आज का टोपिक था सपने.... पैसों को बटोरने का अभी कोई सपना नहीं है.. अभी सपना है.. इंसान इंसान बन जाए बेहतर होगा.. फिर न पुलिस की जरूरत होगी न फौजी की जरूरत होगी न पटवारी की जरुरत होती न राजनैताओं की जरुरत होगी... सचमुच में सबकी जिंदगी बहुत हसीन होगी...फिर नफरतों की ओई दीवार न होगी....पूरे विश्व में इंसान भगवान बन गया है यही चर्चा चलेगी.... मरने के बाद स्वर्ग जाने वाली गलतफहमी सबके दिमाग से निकल जाएगी.. यही जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी ......वैसे हम स्वर्ग मानकर ही चलते हैं मगर मानकर चलने से क्या होगा... अख़बार की खबरें हर रोज रुला देती है...आज उसके साथ छीना झपटी की, आज उसकी जमीन छीन ली गई....कोई बात नहीं कर लो सब अपनी अपनी मनमानी  .मगर एक बात कह देता हूँ जिस दिन श्मशान में जलो ना उस दिन सारी छीना झपटी की पूंजी साथ में ले जाओ तो कहना....मूर्खों को अगर इतना एहसास हो जाता तो शब्दकोष का कलयुग शब्द शब्दकोष में ही रहता.. जहन में नहीं आता...
आज का टोपिक था सपने.... पैसों को बटोरने का अभी कोई सपना नहीं है.. अभी सपना है.. इंसान इंसान बन जाए बेहतर होगा.. फिर न पुलिस की जरूरत होगी न फौजी की जरूरत होगी न पटवारी की जरुरत होती न राजनैताओं की जरुरत होगी... सचमुच में सबकी जिंदगी बहुत हसीन होगी...फिर नफरतों की ओई दीवार न होगी....पूरे विश्व में इंसान भगवान बन गया है यही चर्चा चलेगी.... मरने के बाद स्वर्ग जाने वाली गलतफहमी सबके दिमाग से निकल जाएगी.. यही जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी ......वैसे हम स्वर्ग मानकर ही चलते हैं मगर मानकर चलने से क्या होगा... अख़बार की खबरें हर रोज रुला देती है...आज उसके साथ छीना झपटी की, आज उसकी जमीन छीन ली गई....कोई बात नहीं कर लो सब अपनी अपनी मनमानी  .मगर एक बात कह देता हूँ जिस दिन श्मशान में जलो ना उस दिन सारी छीना झपटी की पूंजी साथ में ले जाओ तो कहना....मूर्खों को अगर इतना एहसास हो जाता तो शब्दकोष का कलयुग शब्द शब्दकोष में ही रहता.. जहन में नहीं आता...