माँ का आँचल हजार बार गिर जाओ उठाती हैं माँ| गम कितना भी हो मुस्काती हैं माँ| वैसे तो लज्जा ही स्त्री का गहना हैं| सबके सामने ही दूध पिलाती हैं माँ|| पिता के मार और डाँट से बचा के| अपने आँचल में मुझे छुपाती हैं माँ|| रश्मि आर्य हर गम में मुस्काती हैं माँ......