-------- दूर कहीं इक नदी, शान्त हृदय लिये , अपने अन्दर की व्याकुलता को मिटाते हुए । सभी जीवों की प्यास बुझाती है , अपनी कोख़ में अनन्त सृष्टि लिए । इस भाव से हथेलियों पे फैल जाती है , मानों जननी अपनी संतान को आलिंगन कर रही हो । सुप्रभात। शब्द जीवन है। चेतना का प्रवाह शब्दों से है। जो शब्द को साध लेता है, वह जीवन को भी साध लेता है। #शब्दसाधना #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi