उदगम सी सुबह है,मंद रैन का बसेरा है मैं जिस घर में आज रहती हूँ ,वो घर भी तेरा है। सारे जहान में तू ही तू ,फिर डर मुझे ये कैसा है है पतंग से जैसे डोर बंधी ,मेरे पास एक फरीक ऐसा है। ©Roopal Chaudhary Morning special 😊