green-leaves घुटती हुई सांसें उसकी, लगी काँपने मृत्यु भय से। तभी स्मृति रंग एक उभरा, नहीं डर कुछ खोने से।। अपना कहाँ था कोई पराया, माया का सब जाल है। यही सोचकर लगी संभलने, मुस्काई वह हौले से।। नीरज श्रीवास्तव मोतिहारी, बिहार ©Niraj Srivastava #GreenLeaves #शायरी_दिल_से✏️ #Quote #poem R..Rahul💎💎 Bhavana Pandey