एक पेड़ का सवाल:― हे धरती पुत्र! हर ओर क्यूँ है क्रंदन ही क्रंदन..? क्यूँ कर रहा तू,इतना विलाप रूदन! हे सबसे अधिक,स्वार्थी तत्व! तुम्हारा स्वार्थ भी,दग़ाबाज़ निकला ना! तुम्हारी तरह.. सुनी थी क्या तुम्हें..?कभी मेरी सिसकियाँ जब-जब सीने पर, चलाई थी आरियाँ! एक-एक वार पर, निकली थी मेरी सैकड़ों अंतिम साँस वाली हिचकियाँ! किसी का वर्तमान खराब करके कभी सुखद भविष्य नहीं हो सकता, आ गया होगा समझ अब तो हे! मानस पुत्र.... ♥️ Challenge-546 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌍🌍 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।