ज़िन्दगी तू पँछी’ सी है वो भी चंचल पँछी’ तू सुख हो या दुःख हो तू गम हो या खुशी हो अनुपम आनन्द की अनुभूति में, विचरण खुले गगन में करती हो...।। ज़िन्दगी तू शतरंज सी है कभी शह तो कभी मात देती हो वजीर सा हो तुम चाल जैसी जो चले ढल जाती हो उस तरह..।। ज़िन्दगी तू नदी सी हैं कैसी भी हो हालत धरा पर तू निर्मल सा बहती है तू बह जाती खोद सुरंग या पर्वत के ऊपर जा चढ़ती हर पल बस कल कल कर मधुर संगीत सुनाती रहती हो...।। ज़िन्दगी तू हवा सी है मदहोश सी, मदमस्त सी, पेड़ों की डाल से झूलती, फूलों के संग में खेलती, घासों के लब को चूमती, आगे बढ़ती चली जाती है....।।। #NojotoQuote ज़िन्दगी तू पँछी’ सी है वो भी चंचल पँछी’ तू सुख हो या दुःख हो तू गम हो या खुशी हो अनुपम आनन्द की अनुभूति में, विचरण खुले गगन में करती हो...।।