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धरातल में गहरा जल सागर है, ठहरता पर्वत पर हिम बनकर

धरातल में गहरा जल सागर है, ठहरता पर्वत पर हिम बनकर।
जल बिना सब सूना है, जगत में जीते हैं सारे प्राणी जल पीकर।
जल ही जीवन, जल से अन्न,पत्र,फल पुष्पित होता उपवन सुंदर,
जल से सृष्टि का उद्भव, नदियाँ करती कल कल ध्वनि मनोहर। 🎀🎀 नमस्ते दोस्तों ! 🎀🎀 

🎁 अनु शीर्षक में कुछ बदलाव ध्यान से पढ़ें 🎁

💝 प्रतियोगिता - ४५

💝 शीर्षक दिया गया है उसी के अनुसार ही लिखें ।
धरातल में गहरा जल सागर है, ठहरता पर्वत पर हिम बनकर।
जल बिना सब सूना है, जगत में जीते हैं सारे प्राणी जल पीकर।
जल ही जीवन, जल से अन्न,पत्र,फल पुष्पित होता उपवन सुंदर,
जल से सृष्टि का उद्भव, नदियाँ करती कल कल ध्वनि मनोहर। 🎀🎀 नमस्ते दोस्तों ! 🎀🎀 

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