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बहरूपिया व्योम ,मंद हवा को वहलाए । आस्तीन का सांप

बहरूपिया व्योम ,मंद हवा को वहलाए ।
आस्तीन का सांप ,हो जैसे अमृत लाए ।।
छेड़ रहा वह आज ,वफा की गलियों में ।
आशिकी मे राधा ,कंश की हो ना जाए ।।




           ,,,,,,,,   Madhukar singh chauhan  ⚔ ⚔⚔ बहरूपिया व्योम ,मंद हवा को वहलाए ।
आस्तीन का सांप ,हो जैसे अमृत लाए ।।
छेड़ रहा वह आज ,वफा की गलियों में ।
आशिकी मे राधा ,कंश की हो ना जाए ।।
बहरूपिया व्योम ,मंद हवा को वहलाए ।
आस्तीन का सांप ,हो जैसे अमृत लाए ।।
छेड़ रहा वह आज ,वफा की गलियों में ।
आशिकी मे राधा ,कंश की हो ना जाए ।।




           ,,,,,,,,   Madhukar singh chauhan  ⚔ ⚔⚔ बहरूपिया व्योम ,मंद हवा को वहलाए ।
आस्तीन का सांप ,हो जैसे अमृत लाए ।।
छेड़ रहा वह आज ,वफा की गलियों में ।
आशिकी मे राधा ,कंश की हो ना जाए ।।

बहरूपिया व्योम ,मंद हवा को वहलाए । आस्तीन का सांप ,हो जैसे अमृत लाए ।। छेड़ रहा वह आज ,वफा की गलियों में । आशिकी मे राधा ,कंश की हो ना जाए ।।