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धर्म कभी किसी रंग या परम्परा से बँधा नहीं होता, धर

धर्म कभी किसी रंग या परम्परा से बँधा
नहीं होता, धर्म का एक अर्थ है अपने स्वभाव 
से बंधे रहना जैसे माँ का धर्म ममता, पानी का
बहना और आग का जलना आदि। धर्म किसी को
ईश्वर तुल्य बना सकता है, ईश्वर का अर्थ समझा
सकता है क्योंकि धर्म केवल स्वभाव है।

©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
  #धर्म