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बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता, देश में अब गणतंत्र है।

बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता,
देश में अब गणतंत्र है।
पर प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
यहां पहरे हैं आरक्षण के,
प्रतिभाओं के कंधों पर।
क्या मजाल कोई रोक लगा दे,
काले गोरखधंधों पर।
अंदर अंदर खोखला करता,
कैसा परजीवी तंत्र है।
प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
जिसका जब भी जी चाहे,
राष्ट्र विरोध कर जाता हैं।
पत्थर बाजों के हाथों,
सैनिक यहां मर जाता है।
मानवता को धिक्कारता,
मानवाधिकार का षड़यंत्र हैं।
प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)..
 बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता,
देश में अब गणतंत्र है।
पर प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
यहां पहरे हैं आरक्षण के,
प्रतिभाओं के कंधों पर।
क्या मजाल कोई रोक लगा दे,
काले गोरखधंधों पर।
बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता,
देश में अब गणतंत्र है।
पर प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
यहां पहरे हैं आरक्षण के,
प्रतिभाओं के कंधों पर।
क्या मजाल कोई रोक लगा दे,
काले गोरखधंधों पर।
अंदर अंदर खोखला करता,
कैसा परजीवी तंत्र है।
प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
जिसका जब भी जी चाहे,
राष्ट्र विरोध कर जाता हैं।
पत्थर बाजों के हाथों,
सैनिक यहां मर जाता है।
मानवता को धिक्कारता,
मानवाधिकार का षड़यंत्र हैं।
प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)..
 बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता,
देश में अब गणतंत्र है।
पर प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
यहां पहरे हैं आरक्षण के,
प्रतिभाओं के कंधों पर।
क्या मजाल कोई रोक लगा दे,
काले गोरखधंधों पर।

बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता, देश में अब गणतंत्र है। पर प्रश्न है मेरा सबसे क्या सच में हम स्वतंत्र हैं? यहां पहरे हैं आरक्षण के, प्रतिभाओं के कंधों पर। क्या मजाल कोई रोक लगा दे, काले गोरखधंधों पर। #India #yqbaba #yqdidi #yqhindi #patriotism #1071stquote