राख होती गई तेरे इश्क की आग में, फिर भी क्यू दिल की लगी न बुझी, खाक कर दिया खुद को तेरे इश्क में, फिर क्यो ये दूरी रह गई, हर तरह से वफ़ा निभा ली हमने, फिर भी क्यो बेवफा ही लगे, खुद को कर दिया तेरे हवाले, फिर भी क्यू तुम अधूरे ही रहे, हर रस्म निभा ली इश्क में हमने, फिर भी क्यू हम तुम बेरिशता ही रहे। ♥️ Challenge-957 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।