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उलझ रहे थे तार जिन्दगी के,दो नावों में। दोनों ही थ

उलझ रहे थे तार जिन्दगी के,दो नावों में।
दोनों ही थे दिल की धड़कन, दोनों ही थे सांसों में।।

जो आज है वो कल नहीं था, जो कल था वो आज नहीं।
बनके दीपक भटक रहा मन,      अंधेरी राहों में।।

कैद हुए है सारे सपने अपनी ही सोचों के पिंजरे में।
और धीरे-2 उम्र की माला के मोती,छूट रहे हैं हाथों से।।

दर्द पुराना जख्म पुराना, अंदाज -ए -बयां मुश्किल सा है।
उसकी खातिर बर्बाद हुए हम, सो ना पाए रातों में।।

बाग बगीचे जल मिट्टी, ज़मीं आसमां,सब ही तो अपने हैं।
सोच के हैरान है  Poonam फिर क्यों गुलाब घिरा है कांटों से।। गुलाब घिरा है कांटों से।।
उलझ रहे थे तार जिन्दगी के,दो नावों में।
दोनों ही थे दिल की धड़कन, दोनों ही थे सांसों में।।

जो आज है वो कल नहीं था, जो कल था वो आज नहीं।
बनके दीपक भटक रहा मन,      अंधेरी राहों में।।

कैद हुए है सारे सपने अपनी ही सोचों के पिंजरे में।
और धीरे-2 उम्र की माला के मोती,छूट रहे हैं हाथों से।।

दर्द पुराना जख्म पुराना, अंदाज -ए -बयां मुश्किल सा है।
उसकी खातिर बर्बाद हुए हम, सो ना पाए रातों में।।

बाग बगीचे जल मिट्टी, ज़मीं आसमां,सब ही तो अपने हैं।
सोच के हैरान है  Poonam फिर क्यों गुलाब घिरा है कांटों से।। गुलाब घिरा है कांटों से।।