दरिया के जल की तरह चलती है जीवनधारा गुजरती है अनजान राहों से खोजती सहारा अकेले ही चलना है कही कोई साथ नहीं आने वाला संघर्ष हर कदम पर है कोई साथ नहीं चलने वाला मालूम नहीं किसी को उसे कहां तक है जाना कब कहां किस रूप में हासिल होगा ठिकाना #जीवनधारा #yqdidi #NaPoWriMo