दिसंबर का महीना सर्दी हो कोहरा हो या चाँद तारो से छिपा हो अम्बर जरूरत ही नही पड़ेगी जो तुम लगाओ मेरा नम्बर तुम मिली तबसे अब तक का सफर याद करेंगे ओढ़कर के छत पे चलो हम तुम चाहत का कम्बर कल तेरे आने पे जश्न मनाया था कैसे भुला जाऊँ मैं भी याद कर रहा हूँ तुझको ए रात दिसम्बर जब दो जिश्मो में हो एक रूह और एक आत्मा अमर है भले ही राधा कृष्ण की तरह न हो स्वयंबर #love #night #sky #nojoto_poem #kavita