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Unsplash ऐ इश्क रूहे बेताब को जीने की वजाहत देदे,य

Unsplash ऐ इश्क रूहे बेताब को जीने की वजाहत देदे,या 
फिर जिस्त ए फिराक में रहने की इनायत देदे/१

या खुदा नबीना चश्म में बिनाई की अलामत देदे,देखे
है जो गुजिश्ता ख्वाब उन्हें पाने की शुजाअत देदे//२

ऐ गमें फिराक,अब इस गम से फ़राग़त देदे,या
 फिर मुझको वस्ले मसर्रत में रिफाकत देदे//३

बाद मुद्दत के जो अता हुई वही आस है हयात में,तुझे
 पा सकूं मै हूं मुन्तजर इन खलाओ में बशारत देदे//४

ऐ जिस्त सलीके से निभा"शमा"की रस्में उल्फत,
नहीं तो उसे किसी और का होने की इजाज़त देदे//५
#Shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Book ऐ इश्क रूहे बेताब को जीने की वजाहत देदे,या फिर जिस्त ए फिराक में रहने की इनायत देदे/१

या खुदा नबीना चश्म में बिनाई की अलामत देदे,
देखे है जो गुजिश्ता ख्वाब उन्हें पाने की शुजाअत देदे//२

ऐ गमें फिराक,अब इस गम से फ़राग़त देदे,या फिर वस्ले मसर्रत में रिफाकत देदे//३

बाद मुद्दत के जो अता हुई वही आस है हयात
Unsplash ऐ इश्क रूहे बेताब को जीने की वजाहत देदे,या 
फिर जिस्त ए फिराक में रहने की इनायत देदे/१

या खुदा नबीना चश्म में बिनाई की अलामत देदे,देखे
है जो गुजिश्ता ख्वाब उन्हें पाने की शुजाअत देदे//२

ऐ गमें फिराक,अब इस गम से फ़राग़त देदे,या
 फिर मुझको वस्ले मसर्रत में रिफाकत देदे//३

बाद मुद्दत के जो अता हुई वही आस है हयात में,तुझे
 पा सकूं मै हूं मुन्तजर इन खलाओ में बशारत देदे//४

ऐ जिस्त सलीके से निभा"शमा"की रस्में उल्फत,
नहीं तो उसे किसी और का होने की इजाज़त देदे//५
#Shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Book ऐ इश्क रूहे बेताब को जीने की वजाहत देदे,या फिर जिस्त ए फिराक में रहने की इनायत देदे/१

या खुदा नबीना चश्म में बिनाई की अलामत देदे,
देखे है जो गुजिश्ता ख्वाब उन्हें पाने की शुजाअत देदे//२

ऐ गमें फिराक,अब इस गम से फ़राग़त देदे,या फिर वस्ले मसर्रत में रिफाकत देदे//३

बाद मुद्दत के जो अता हुई वही आस है हयात