वो पूछते है हमारी तारीफ के पुल क्यो बांधते रहते हो हम इतने भी खूबसरत नही जितने तुम ग़ज़लों में कहते हो हम से एक से एक शोख़ हसीनाएं है ज़रा उनकी भी तारीफ करो हम नही आपसे मिलेंगे हमे देख के न आहें भरो हमारा जवाब ज़रा सुनके जाना खूबसरत आप अकेले नही चलो माना पर हर किसी को नही आता हमारे दिल को भाना इस लिए तुम्हे चाहते है जाना #गुरप्रीत #LookingDeep विवेकानंद आर्य (Poetry Bhaiya) Surjit sabir✍️ Ritika Singh