तारों में दफ़्न था मुद्दतों से वो इक रोज खुद व खुद बादल सा छट गया। जो था खुद में ही जप्त सदियों से अब वो दुनिया में किस्तों सा वट गया। वो हारा बहुत बार मैदान-ए-जंग में पर जीत की खातिर सरे मैदान डट गया। कहीं खो ना दे वो अपनी मंजिल ज़हान में " निसार " ये सोचके उसके रास्ते से हट गया। ©नितीश निसार #दिल_का_दर्द_शब्दों_में_बयाँ_करें_तो_करें_कैसे_