हमे कहा किसी से प्यार हैं, अब सिर्फ बस का इंजार हैं, चल रहा हूं अकेला, अपनों के साथ , खो रहा हूं अपनों को, मिल परायो के साथ, ज़िदंगी तो कुछ दिन की महमान है, जीना हैं कुछ वक्त महबूब के साथ, सोच रहा था वो मेरी है, पर मुझ पागल को क्या पता था, गिरगिट के रंग, महबूब ढंग बदल ही जाते हैं #World_without_love #गिरगिट_के_रंग #महबूब_के_ढंग_बदल_ही_जाते_हैं #prakhar_tiwari