शिक्षक किसी विषय को देर तक सुनता है, किन्तु शीघ्र ही समझ लेता है, समझकर कर्तव्यबुद्धि से पुरुषार्थ में प्रवृत्त होता है- कामना से नहीं; बिना पूछे दूसरे के विषय में व्यर्थ कोई बात नहीं कहता है। उसका यह स्वभाव शिक्षक की मुख्य पहचान है। (विदुरनीति १/२७) शिक्षक की पहचान