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चाहत ना करो ऐसी कोई। जमाने मे जिसे ना समझे कोई।। ह

चाहत ना करो ऐसी कोई।
जमाने मे जिसे ना समझे कोई।।
हस्ती गर तेरी होगी बङी।
दुनिया सामने होगी खङी।।
झुकेगे सिजदा मे सभी तेरे।
होगे नही फिर भी कोई तेरे।।
छोङ अहद जाएगे अर्श।
रहेगा नही तुम भी फर्श।।
फिर क्यों है चाहत ए ललक।
त्याग करो यह है देव सबक।।

©Deoprakash Arya
  #ddlj त्याग करो।

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