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सब्र करने का वक़्त शेष नहीं,ज़िंदगियों के पास। उम्

सब्र करने का वक़्त शेष नहीं,ज़िंदगियों के पास।
उम्मीदें लगा बैठे रहै,तोड़ता गया वक़्त हर आस।
टूट गए सब्र के बांध,रूठने लगी ज़िंदगी ए सांस।
ऐन वक़्त पर मिल जाता,सब्र का फल भी काश।
JP lodhi 13/04/2022

©J P Lodhi.
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