Nojoto: Largest Storytelling Platform

मोहब्बत की गलियों में भटकना अब ठीक नहीं लगता, ये व

मोहब्बत की गलियों में भटकना अब ठीक नहीं लगता,
ये वक़्त बेवकूफ़ों का नहीं, और समझदारी मुझसे होगी नहीं ब्लाइंड फेथ / लीप ऑफ फेथ ये तो शायद मुझ जैसे बेवकूफ़ लोग करते है। सब देख कर, समझ कर, फिर आँखों पर पट्टी बांधकर, उनके सारे ऐब भुलाकर, उनको अपनाना। भला ये सब कौन करता है?
ये दुनिया अब प्रक्टिकैलिटी पर चलती है। रिश्तों के डोर अब बंधते है तो मतलब पर।ऐसी खोखली नींव का टूटकर बिखरना अनिवार्य है।कहते है कुछ लोग की इमोशन्स यानी की भावनाओं में डूबकर ज़िंदगी नहीं काटी जा सकती है। थोड़ा प्रैक्टिकल बनो। प्यार के नाम पे कॉम्प्रमाइसिस यानी की त्याग से हरदम नहीं जी सकते। अब ये क्या बात हुई?
क्या त्याग बिना कुछ संभव हुआ है इस दुनिया में?प्यार का प्रथम पड़ाव विश्वास है पर उसका सारथी सिर्फ़ और सिर्फ़ त्याग है। ख़ैर! ना अब मुझे समझदार होने की कोई इच्छा है ना ही अपनी बेवकूफ़ियों को समझाने का मन। ये आजकल की मोहब्बत मेरे बस की बात नहीं।

#बेवकूफ़ #समझदार #त्याग #भावना #yqbaba  #yqdidi
मोहब्बत की गलियों में भटकना अब ठीक नहीं लगता,
ये वक़्त बेवकूफ़ों का नहीं, और समझदारी मुझसे होगी नहीं ब्लाइंड फेथ / लीप ऑफ फेथ ये तो शायद मुझ जैसे बेवकूफ़ लोग करते है। सब देख कर, समझ कर, फिर आँखों पर पट्टी बांधकर, उनके सारे ऐब भुलाकर, उनको अपनाना। भला ये सब कौन करता है?
ये दुनिया अब प्रक्टिकैलिटी पर चलती है। रिश्तों के डोर अब बंधते है तो मतलब पर।ऐसी खोखली नींव का टूटकर बिखरना अनिवार्य है।कहते है कुछ लोग की इमोशन्स यानी की भावनाओं में डूबकर ज़िंदगी नहीं काटी जा सकती है। थोड़ा प्रैक्टिकल बनो। प्यार के नाम पे कॉम्प्रमाइसिस यानी की त्याग से हरदम नहीं जी सकते। अब ये क्या बात हुई?
क्या त्याग बिना कुछ संभव हुआ है इस दुनिया में?प्यार का प्रथम पड़ाव विश्वास है पर उसका सारथी सिर्फ़ और सिर्फ़ त्याग है। ख़ैर! ना अब मुझे समझदार होने की कोई इच्छा है ना ही अपनी बेवकूफ़ियों को समझाने का मन। ये आजकल की मोहब्बत मेरे बस की बात नहीं।

#बेवकूफ़ #समझदार #त्याग #भावना #yqbaba  #yqdidi
drg4424164151970

Drg

New Creator