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बचपन की भरी दोपहरी में, नाप आते थे पूरा मोहल्ला, ज

बचपन की भरी दोपहरी में, नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रीयाँ समझ में आई, पाँव जलने लगे
 -गुलज़ार Gulzar quotes
बचपन की भरी दोपहरी में, नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रीयाँ समझ में आई, पाँव जलने लगे
 -गुलज़ार Gulzar quotes