आज भी भटकती हूं उन गलियों में, जिन गलियों में हम मिला करते थे। करती रहती हूं बातें उन रातों से, जिन रातों को हम जागे गुजारा करते थे। छुपा लेती हूं ओ आंखे, जो तुम्हे देखने को तरस तरस के बरसा करते है। #मिलके भी ना मिले तुम हमसे, इतना दूर क्यों चले गए हमसे, रोती हूं यादों में तो बरसते है क्यों आंखे, दर्द है तो छुपता नहीं क्यों दिल से#love#pyaar vyaar#yqhindi#yqquotes