हमने धूप में जलकर देखा है, आग के अंगारों पर चलकर देखा है। उम्मीदों का मेला लगा है चौराहे पर, हमने घर से निकलकर देखा है। है आसान कोई राह नहीं, हमने रास्ते बदल-बदल कर देखा है। बहुत अंधेरा होता है गरीबों के मकानों में, हमने चकाचौंध से निकलकर देखा है। है हर कोई मुरीद अपने फायदे का यहा, हमनें साथी बदल-बदल कर देखा है। पकी रोटी खाने को सभी आतुर हैं यहां, हमने आगे-आगे चलकर देखा है। पैसा कितना अहमियत रखता है, हमने फ़कीरों के घर ठहर कर देखा है। पैसा नहीं तो कोई अपना नहीं, हमने कई तूफानों से लड़कर देखा है। है उम्र कच्ची अभी, पर हरेक मंज़र से गुजरकर देखा है, ये दुनिया बहुत दिखावटी है, हमने अपने तजुर्बे से पढ़कर देखा है। #Dhanbad2