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मिलेंगे बहुतल कम ऐसे, जिन्हें सिद्धांत भाते हैं।

मिलेंगे  बहुतल कम ऐसे, जिन्हें सिद्धांत भाते हैं।
चमकते आवरण में जो, नहीं खुद को छिपाते हैं।
प्रलोभन छल नहीं पाएं, फकीरी है जहाँ बसती।
सिकन्दर  चूमकर   चौखट, यहाँ  से लौट जाते।

©Manjul mahoba
  जिन्हें सिद्धांत भाते हैं....

जिन्हें सिद्धांत भाते हैं.... #कविता

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