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#OpenPoetry हिफाज़त से रखा है, हर वो ख़त तेरा, जिस

#OpenPoetry हिफाज़त से रखा है, हर वो ख़त तेरा,
जिसमें पेश किया था, हुज़ूर ने इश्क़ मेरा।
अंधियारा छा जाता है जब भी ,इश्क़ के गलियारों में, खोल लेता हूं तेरा वो ख़त फिर, ख़ुमारी चढ़ आती है इन  नज़ारों में।
हिफाज़त से संभाले रखा है, इस दिल में चेहरा तेरा,
जिसकी निग़ाहों में था, कभी आशियाना मेरा।
तेरी डोली उठी  , हम रोक भी ना पाए,
तेरी बस गई दुनियां ,और हम खुद की ज़िन्दगी भी उजाड़ ना पाए।
हिफाज़त से रखा है, हर वो ख़त तेरा,
जिसमें पेश किया था, हुज़ूर ने इश्क़ मेरा। chaht
#OpenPoetry हिफाज़त से रखा है, हर वो ख़त तेरा,
जिसमें पेश किया था, हुज़ूर ने इश्क़ मेरा।
अंधियारा छा जाता है जब भी ,इश्क़ के गलियारों में, खोल लेता हूं तेरा वो ख़त फिर, ख़ुमारी चढ़ आती है इन  नज़ारों में।
हिफाज़त से संभाले रखा है, इस दिल में चेहरा तेरा,
जिसकी निग़ाहों में था, कभी आशियाना मेरा।
तेरी डोली उठी  , हम रोक भी ना पाए,
तेरी बस गई दुनियां ,और हम खुद की ज़िन्दगी भी उजाड़ ना पाए।
हिफाज़त से रखा है, हर वो ख़त तेरा,
जिसमें पेश किया था, हुज़ूर ने इश्क़ मेरा। chaht
erkakupahari9175

Kaku Pahari

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