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#5LinePoetry बड़ी आरजू थी महबूब को बेनकाब देखने की

#5LinePoetry बड़ी आरजू थी महबूब को बेनकाब देखने की 
दुप्पटा जो सरका तो कमबख्त जुल्फे दीवार बन गई...

©OMG INDIA WORLD बड़ी आरजू थी महेबूब को बेनकाब देखने की दुप्पटा जो सरका तो कमबख्त जुल्फे दीवार बन गई...
#5LinePoetry बड़ी आरजू थी महबूब को बेनकाब देखने की 
दुप्पटा जो सरका तो कमबख्त जुल्फे दीवार बन गई...

©OMG INDIA WORLD बड़ी आरजू थी महेबूब को बेनकाब देखने की दुप्पटा जो सरका तो कमबख्त जुल्फे दीवार बन गई...