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जब वो बारह से तेरह की हुई थी, घर में एक फुसफुसाह

 जब वो बारह से तेरह की हुई थी,
 घर में एक फुसफुसाहट सी हुई थी...
 पूजाघर में जानें को मना हो गई थी,
 दादी भी तिरछी नजरों से देख रही थी..
   दर्द की वो तड़पन,
   ऊपर से मां आंखें दिखाती थी...
काली थैली में वो ,चुपके से फेंक आती थी..
 पीछे मुड़कर धीरे से वो देख लेती थी,
 रक्त रंजित सलवार से वो बच जाती थी...
 सवाल अनेक उमड़ रहे थे उसके जेहन में,
 कुछ जबाव दिये फिर उसकी बहन ने.
आंखों में आज भी एक सवाल खटकता है,
  कन्या पूजन तो होता है...
 मंदिर उसका जाना क्यों निषेध होता है...
 
 
  

 

     #माहवारी 
#पाप नहीं...
#yourquotedidi #youryrquote 
#tulikagarg
 जब वो बारह से तेरह की हुई थी,
 घर में एक फुसफुसाहट सी हुई थी...
 पूजाघर में जानें को मना हो गई थी,
 दादी भी तिरछी नजरों से देख रही थी..
   दर्द की वो तड़पन,
   ऊपर से मां आंखें दिखाती थी...
काली थैली में वो ,चुपके से फेंक आती थी..
 पीछे मुड़कर धीरे से वो देख लेती थी,
 रक्त रंजित सलवार से वो बच जाती थी...
 सवाल अनेक उमड़ रहे थे उसके जेहन में,
 कुछ जबाव दिये फिर उसकी बहन ने.
आंखों में आज भी एक सवाल खटकता है,
  कन्या पूजन तो होता है...
 मंदिर उसका जाना क्यों निषेध होता है...
 
 
  

 

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#पाप नहीं...
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tulika3350361195569

Anamika

New Creator