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कभी चाँद में तो कभी सितारों में । कभी ज़मीन में त

कभी चाँद में 
तो कभी सितारों में ।
कभी ज़मीन में 
तो कभी बदलों में ।
हम शायर ढूँढ ही लेते हैं 
 सुकून अपना ।
क्योंकि दूर करना चाहते हैं 
हम सारा दर्द अपना ।
कभी बहती दरिया में 
तो कभी ठहरे से पहाड़ो में ।
कभी लोगों की आँखों में 
तो कभी उन आँखों से बहते उन अश्क़ों में ।
हम लेखक ढूँढ ही लेते हैं 
एक कहानी अपना ।
क्योंकि चाहकर भी ना जोड़ पाने के बाद 
समेटना चाहते हैं हम अपना बिखरा सपना । #love to write something about what I see or experience
कभी चाँद में 
तो कभी सितारों में ।
कभी ज़मीन में 
तो कभी बदलों में ।
हम शायर ढूँढ ही लेते हैं 
 सुकून अपना ।
क्योंकि दूर करना चाहते हैं 
हम सारा दर्द अपना ।
कभी बहती दरिया में 
तो कभी ठहरे से पहाड़ो में ।
कभी लोगों की आँखों में 
तो कभी उन आँखों से बहते उन अश्क़ों में ।
हम लेखक ढूँढ ही लेते हैं 
एक कहानी अपना ।
क्योंकि चाहकर भी ना जोड़ पाने के बाद 
समेटना चाहते हैं हम अपना बिखरा सपना । #love to write something about what I see or experience