कभी चाँद में तो कभी सितारों में । कभी ज़मीन में तो कभी बदलों में । हम शायर ढूँढ ही लेते हैं सुकून अपना । क्योंकि दूर करना चाहते हैं हम सारा दर्द अपना । कभी बहती दरिया में तो कभी ठहरे से पहाड़ो में । कभी लोगों की आँखों में तो कभी उन आँखों से बहते उन अश्क़ों में । हम लेखक ढूँढ ही लेते हैं एक कहानी अपना । क्योंकि चाहकर भी ना जोड़ पाने के बाद समेटना चाहते हैं हम अपना बिखरा सपना । #love to write something about what I see or experience