मज़बूर थे हम कि तुझे पा ना सके, तेरे साथ अपनी पूरी ज़िंदगी बिता ना सके, आज भी इस मज़बूरी का अंजाम भुगत रहै है। दुनिया की इस भीड़ में अकेले ही जी रहै है।। मज़बूर,,,,