जिस डोर से तूने आसमां में उडाया। मे वही पतंग पुरानी हूँ ॥ जिन किताबों को तुने बंद करवाया। में उन पन्नो की अनसूनी कहानी हूं॥ जिस महफिल में छोड गया तू। में उस रंगीन शाम की दीवानी हूं॥ और, जिस समाज में तूने मुझे अबला बताया में उस समाज को अपनी पहचान बताने वाली, एक नारी हूं॥ ©Prachi Tyagi #womenempowerment