राम से सिया, सिया से राम हैं होकर अधीर सिया की आंखों से बहती अश्रुधार बने "रघुवर" जाने को पार सागर के हार गए करके अनुयय विनय सामने समुद्र के ,स्वयं भिक्षु बने "रघुवर" क्रोध न छू पाता था जिनको लंचमात्र भी सागर की धृष्टता पर सुखा देने को आतुर उठा दिव्यास्त्र ,क्रोध का शिकार बने "रघुवर"... (शेष कैप्शन में ज़रूर पढ़ें), ©Rakhee ki kalam se राम से सिया, सिया से राम हैं होकर अधीर सिया की आंखों से बहती अश्रुधार बने रघुवर जाने को पार सागर के हार गए करके अनुयय विनय सामने समुद्र के भिक्षु बने रघुवर