ब्रह्माण्ड में अनन्त की कोख से जन्म लिया समय नहीं बीतता..बीतते हैं हम। नीले पीले लाल गुलाबी रंगों से धरती का श्रंगार करने वाली हवाएं नहीं रूकतीं.. रूकतीं हैं हमारी सासें..फूलों को पिरोये बेलें ज़िन्दा नहीं रहतीं.. ज़िन्दा रहती हैं खुश्बूएं.. कुछ यादों की..अधूरी मुलाक़ातों की कुछ अनकही दास्तानों..अनसुनी फ़रयादों की कुछ मिटी मिटी सी तहरीरों..धुंधली धुंधली तस्वीरों की रंग उड़े चेहरे पर पीले फूल खिले होंगे तन्हाई में दामन के जब चाक सिलें होंगे ।। * शिनावर ● Memories of Another day