रिश्तें भी बड़े नायाब मिले मुझे, पर जो खून के थे उन्हें निभा नहीं पाया, और जो दिल के थे वो सम्भाल नहीं पाया।। ऐसा नहीं था, कि कोशिश नहीं कि मैंने उन्हें संभालने की, पर संभालने के चक्कर मे उन्हें बस जी नहीं पाया।। आज मुड़कर देखता हूँ, गलतियों को खुद की, तो चुभती है कसक दिल में, और टूट सा जाता हूँ, पर हूँ तो आखिर मैं भी जिद्दी सा इंसान, टूटे भले ही हो रिश्ते वो, पर निकाला नहीं दिल से, नहीं कभी छोड़ पाया।। अब इक आस ही है दिल में, जो मैंने की है गलतियाँ, वो कोई दूसरा ना दोहराए, वक़्त रहते संभाले खुद को, या बाद में ना पछताए।। #hindipanktiyaan #writersthought #thoughtofevening #nojotawrites #firstwrite #shayri #nojotohindi #नोजोटोहिंदी