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मैदाने इश्क़ में..... नब्ज बंद

मैदाने इश्क़ में.....                    
नब्ज बंद हुई तो नग्मों का सहारा हुआ, 
था बचपना तो माँ की लोरियां सुनी| 
इस जवानी में मासूक चली गई 
गम नहीं है,नग्मों के साथ गुजरा हुआ|

                          _Harshvardhan gahaewar #wordmusicday
मैदाने इश्क़ में.....                    
नब्ज बंद हुई तो नग्मों का सहारा हुआ, 
था बचपना तो माँ की लोरियां सुनी| 
इस जवानी में मासूक चली गई 
गम नहीं है,नग्मों के साथ गुजरा हुआ|

                          _Harshvardhan gahaewar #wordmusicday