Nojoto: Largest Storytelling Platform

धीरे धीरे सच्ची पर्तें खुल रही है लोगो के असली चेह

धीरे धीरे सच्ची पर्तें खुल रही है लोगो के असली चेहरे सामने आ रहे है
मैं हैरान इस बात से नहीं कि उसने इस तरह छला बल्कि इस बात से हूँ
की एक भनक भी न होने दी अपने नकली आँसू नकली बाते और नकली भावनाओ कि
सोचा नही था लोग इतना दिमाग से चल रहे है मैं तो साला दिल्लगी और भावनाओ में वहा जा रहा था अब सारी कहानी समझ आ रही है
काला दाल में नहीं पूरी दाल ही काली है
सोचता हूँ कोई इंसान इतने रंग इतने अच्छे तरीके से कैसे बदल सकता है
सायद उसने दिल कि कीमत सम झी ही नहीं
अच्छा हुआ समय रहते बच गया फिरसे उस बहरूपीयन के छालावों में आने से
पर तुझे तेरे कर्मों कि सजा
तेरे कर्म ही देंगे 
अब समझ आ रहा है मुझे
उस लड़के क किस्सा याद
जिसको में कभी पापी समझता था
पाप तो कोई और ही कर रहा था
खेल तो किसी और का ही था दिलों से खेलने का हमेसा से
पर कोई बात नहीं
अब दिमाग़ कि लड़ाई सच्चाई से होगी
और में हारने बालों में से मैं नहीं
बाकियों के जैसा मैं नहीं
याद गार बना रहूँगा हमेसा
याद रखना मेरी जान

©unkown
  #salejhootelog #farebi #bhroopiye