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साल का अंतिम माह दिसम्बर भी शनै-शनै शाम में बदल गय

साल का अंतिम माह दिसम्बर भी
शनै-शनै शाम में बदल गया..

नजदीक से जाना कुछ चेहरों को मैंने
सुचित्र का चरित्र बदल गया..

रजनी को चीरकर फिर निकला सूर्य 
नयी सुबह यें दिल बदल गया..

हर दिन नया नववर्ष का इंतजार क्यों
दिन था पुराना वों बदल गया..

अनिल प्रणाम! स्वीकार करें सूर्यदेव
बदलाव में 'मैं' भाव बदल गया..

©Anil Ray
  #realization