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मधुशाला का नित्य निमंत्रण, जो दिलवा दे , मित्र वही

मधुशाला का नित्य निमंत्रण,
जो दिलवा दे , मित्र वही है। 

व्यथित हृदय हो पीडा में तब,
*Wills* जला दे , मित्र वही है।

सुंदर विपुल चंचला का,
नंबर दिलवा दे , मित्र वही है।

मधु-पात्रों में भर कर मदिरा,
पैग बना दे , मित्र वही है।

सुरा विसुध हो जाऊँ जब मैं,
घर पहुँचा दे , मित्र वही है।
🍺🥃

~```मदिरा शरण गुप्त``` !!! हास्य कविता
मधुशाला का नित्य निमंत्रण,
जो दिलवा दे , मित्र वही है। 

व्यथित हृदय हो पीडा में तब,
*Wills* जला दे , मित्र वही है।

सुंदर विपुल चंचला का,
नंबर दिलवा दे , मित्र वही है।

मधु-पात्रों में भर कर मदिरा,
पैग बना दे , मित्र वही है।

सुरा विसुध हो जाऊँ जब मैं,
घर पहुँचा दे , मित्र वही है।
🍺🥃

~```मदिरा शरण गुप्त``` !!! हास्य कविता

हास्य कविता