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मैं बहना चाहूं , काश ये नदी ले जाए मुझको , अर्द्धश

मैं बहना चाहूं ,
काश ये नदी ले जाए मुझको ,
अर्द्धशीश डूबें तरंगनी में ,
खेलूं उन तरंगों से ,
सरिता तुम्हारा वारि ,
मुझको शांत कर दे ,
देह को छूती शीतल लहरें ,
जीवन में उत्साह भर दें ,
मैं बहती रहूं ,
कोई किनारा न मिलें ,
अनंत अंबर को देखूं महकती धरा से ,
नयनों की तृप्ति हो जाए ,
उड़ान भरते विहग ,
मुझको भी सागर तक ले जाए ।

©Bhanu Priya मैं बहना चाहूं ,
काश ये नदी ले जाए मुझको ,
अर्द्धशीश डूबें तरंगनी में ,
खेलूं उन तरंगों से ,
सरिता तुम्हारा वारि ,
मुझको शांत कर दे ,
देह को छूती शीतल लहरें ,
जीवन में उत्साह भर दें ,
मैं बहना चाहूं ,
काश ये नदी ले जाए मुझको ,
अर्द्धशीश डूबें तरंगनी में ,
खेलूं उन तरंगों से ,
सरिता तुम्हारा वारि ,
मुझको शांत कर दे ,
देह को छूती शीतल लहरें ,
जीवन में उत्साह भर दें ,
मैं बहती रहूं ,
कोई किनारा न मिलें ,
अनंत अंबर को देखूं महकती धरा से ,
नयनों की तृप्ति हो जाए ,
उड़ान भरते विहग ,
मुझको भी सागर तक ले जाए ।

©Bhanu Priya मैं बहना चाहूं ,
काश ये नदी ले जाए मुझको ,
अर्द्धशीश डूबें तरंगनी में ,
खेलूं उन तरंगों से ,
सरिता तुम्हारा वारि ,
मुझको शांत कर दे ,
देह को छूती शीतल लहरें ,
जीवन में उत्साह भर दें ,
bhanupriya6111

Bhanu Priya

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