ठहरी ज़िंदगी हो या ठहरा पानी ,दोनों की है एक जैसी कहानी ज़िंदगी में प्रवाह और पानी में बहाव न हो तो जीने नहीं देता है। पानी कहीं रुक जाए है तो सड़ जाता है ।फिर उसमें इस तरह से जीवनी शक्ति की कमी हो जाती है कि बहुत सी मछलियां भी उसमें नहीं जी पाती हैं। उसमें से बदबू आने लगती है और पानी किसी योग्य नहीं बचता है ।इसी तरह मनुष्य का जीवन है। अगर हम एक ही जगह ठहर गए, हमारे जीवन में न विचारों का प्रवाह रहे न हमारे संबंधों में किसी तरह की रवानी रहे तो यह ठहराव हमारी जीवंतता समाप्त कर देता है। तभी तो कहा गया है- चरैवेति चरैवेति 🙏🙏 #ATboatsbg • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ #aestheticthoughts #jayakikalamse #yqbaba #yqaestheticthoughts #yqdidi #poetry #YourQuoteAndMine Collaborating with Aesthetic Thoughts