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जीवन का पहला और आखिरी पड़ाव बिल्कुल एक जैसा,शिशु अ

जीवन का पहला और आखिरी पड़ाव बिल्कुल एक जैसा,शिशु अवस्था ,जहां हमारी सारी ज्ञानेंद्रिय होती हुई हम असहाय होते हैं हमें किसी की जरूरत पड़ती है और बिल्कुल ठीक वैसे ही जीवन के अंतिम पड़ाव में हमारे कान होते हुए हम सुन नहीं सकते, आंखें धुंधली हो जाती है ,दांत भी साथ छोड़ देते हैं ,बाल सफेद हो जाते हैं या नहीं भी होते ,फर्क बस इतना होता है की बचपन में हम बड़े प्यारे से दुलारे होते हैं, और जीवन के अंतिम अवस्था में ठीक विपरीतह ....हम असहाय ,निर्बल और अकेलेपन के मारे होते हैं तो कहना यह चाह रही थी कि जब जब हम सबको ही इस राह से गुजरना है तो क्यों ना इस चक्र को एक नई दिशा दें और जीवन के हर पड़ाव को  और सबसे बड़ी बात जीवन के अंतिम पड़ाव को भी वैसा ही सरल और वात्सल्य वाला बनाएं🙏🙏🙏
divya7577261886490

divya Sharma

Gold Star
New Creator

जीवन का पहला और आखिरी पड़ाव बिल्कुल एक जैसा,शिशु अवस्था ,जहां हमारी सारी ज्ञानेंद्रिय होती हुई हम असहाय होते हैं हमें किसी की जरूरत पड़ती है और बिल्कुल ठीक वैसे ही जीवन के अंतिम पड़ाव में हमारे कान होते हुए हम सुन नहीं सकते, आंखें धुंधली हो जाती है ,दांत भी साथ छोड़ देते हैं ,बाल सफेद हो जाते हैं या नहीं भी होते ,फर्क बस इतना होता है की बचपन में हम बड़े प्यारे से दुलारे होते हैं, और जीवन के अंतिम अवस्था में ठीक विपरीतह ....हम असहाय ,निर्बल और अकेलेपन के मारे होते हैं तो कहना यह चाह रही थी कि जब जब हम सबको ही इस राह से गुजरना है तो क्यों ना इस चक्र को एक नई दिशा दें और जीवन के हर पड़ाव को और सबसे बड़ी बात जीवन के अंतिम पड़ाव को भी वैसा ही सरल और वात्सल्य वाला बनाएं🙏🙏🙏

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