यकीं है एक दूजे पर, वकालत जरूरी तो नहीं। तुझसे मिलने के लिए, इजाजत जरूरी तो नहीं। दिल से जुड़े हैं दोस्ती के हर जज्बे मेरे, मेरे जज्बों में इबादत जरूरी तो नहीं। बिन कहे भी समझ आती है तेरी बातें हमें। हर बार लफ्जों में नजाकत जरूरी तो नहीं। बिन मिले भी सुकून होता है मुझे। हर दिन हो मुलाकात जरूरी तो नहीं। हर बुरे हालात में करेंगे हिफाजत तेरी। हर बार तू करे हिफाजत जरूरी तो नहीं। खून से नहीं दिल से जुड़ा है याराना हमारा। दोस्ती में धर्म जात जरूरी तो नहीं। ग़ज़ल on dosti