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मेले में वो मिले थे, मुलाक़ात न हूई। बातें तो थीं

मेले में वो मिले थे, मुलाक़ात न हूई।
बातें तो थीं बहुत,पर बात न हूई।।

पलकें भी मेरी नम थीं, आंखें उफ़ान पर थीं।
वो हंस के बोले शायद,बरसात न हूई।।

कविवंश...✍️

©Vansh Thakur 
  #कविवंश....✍️