मैं सच बोलता रहा खुद अपनी ही ताबूत में कील ठोंकता रहा; अपने गुनाहों पे बेशर्मी से अड़ जाने वाला, अपनी खोखली हँसी से फिज़ाओं में ज़हर घोलता रहा; मैं सच के अल्फाज़ को रखते रखते झुकता चला गया और वो; बेईमानी के तराज़ू में मुझको तोलता रहा; गुमाँ उसका भी आसमां से ऊँचा था, जिसकी रीढ़ में कोई हड्डी ना थी; वो सीना तान कर खड़ा था, मैं उसकी खुद्दारी टटोलता रहा...... #अभिशप्त_वरदान #खुद्दारी #yqbaba #yqdidi #yqhindipoetry