मोहब्बत वतन की हमारे नस नस में समाई हैं, वतन की खातिर मर मिट आज़ादी कमाई हैं, जब धरती मां पे आन पड़ी खून में गरमाई हैं, हस के बलिदानी दी जैसे मौत से कुड़माई है, मिट्टी की पैदाइश से गद्दारी वो अंगुश्तनुमाई हैं, वीर जवानो ने .....अस्मत खातिर जां गवाई हैं, हर रंग पे कुर्बानी की झलकियां खुशनमाई हैं, लहलहाते सरसों में वफा की रागिनी समाई हैं। फ़लक से ऊंची बुरी नज़र वाले को चरमनुमाई हैं, प्यार रंग से मुसव्विर ने सहर खुशी की सजाई है। #तिरंगा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #रोज़ी_संबरीया