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ना सिखाओ अब मुझे की चलना कैसे है चलूंगा मैं अब वैस

ना सिखाओ अब मुझे की चलना कैसे है
चलूंगा मैं अब वैसे ही , चाहता ज़माना जैसे है

ओर मेरी सूरत , मेरी सीरत , और मेरी हालत का मजाक उड़ाने वालों थोड़ा सब्र करो 
दिखलाऊंगा मैं जल्द ही , जिल्लत से शोहरत तक का सफर होता कैसे है

ओर देखो कभी मेरे जख्मों के निशान तो घबरा जाओगे 
मेरी मुश्किलों से पूछो , मेरे लबों पर सजी ये मुस्कुराहट कैसे है

ओर मां की दुआओं भी थीं और यारों की बेरुखी भी थी
जब निकला था घर से अपने मैं 

अब न पूछो मुझ से की दिल से निकला मेरे जहां कैसे है

कभी मिले फुरसत तो पढ़ना मेरी तन्हाइयों को 
मालूम हो जाएगा तुम्हे भी , आंखों में लहू उतरता कैसे है 

ओर जिसको समझूं अपना वो एक ही बात समझा के चला जाता है
छोड़ आदिल मुहब्बत, दिल्लगी, दीवानगी , 
चल वैसे ही, चाहता ये जमाना जैसे है

ना सिखाओ मुझे अब चलना कैसे है 
चलूंगा मैं अब वैसे ही , चाहता ये ज़माना जैसे है...Als...self comp.

©Als. #ditch
ना सिखाओ अब मुझे की चलना कैसे है
चलूंगा मैं अब वैसे ही , चाहता ज़माना जैसे है

ओर मेरी सूरत , मेरी सीरत , और मेरी हालत का मजाक उड़ाने वालों थोड़ा सब्र करो 
दिखलाऊंगा मैं जल्द ही , जिल्लत से शोहरत तक का सफर होता कैसे है

ओर देखो कभी मेरे जख्मों के निशान तो घबरा जाओगे 
मेरी मुश्किलों से पूछो , मेरे लबों पर सजी ये मुस्कुराहट कैसे है

ओर मां की दुआओं भी थीं और यारों की बेरुखी भी थी
जब निकला था घर से अपने मैं 

अब न पूछो मुझ से की दिल से निकला मेरे जहां कैसे है

कभी मिले फुरसत तो पढ़ना मेरी तन्हाइयों को 
मालूम हो जाएगा तुम्हे भी , आंखों में लहू उतरता कैसे है 

ओर जिसको समझूं अपना वो एक ही बात समझा के चला जाता है
छोड़ आदिल मुहब्बत, दिल्लगी, दीवानगी , 
चल वैसे ही, चाहता ये जमाना जैसे है

ना सिखाओ मुझे अब चलना कैसे है 
चलूंगा मैं अब वैसे ही , चाहता ये ज़माना जैसे है...Als...self comp.

©Als. #ditch