ना सिखाओ अब मुझे की चलना कैसे है चलूंगा मैं अब वैसे ही , चाहता ज़माना जैसे है ओर मेरी सूरत , मेरी सीरत , और मेरी हालत का मजाक उड़ाने वालों थोड़ा सब्र करो दिखलाऊंगा मैं जल्द ही , जिल्लत से शोहरत तक का सफर होता कैसे है ओर देखो कभी मेरे जख्मों के निशान तो घबरा जाओगे मेरी मुश्किलों से पूछो , मेरे लबों पर सजी ये मुस्कुराहट कैसे है ओर मां की दुआओं भी थीं और यारों की बेरुखी भी थी जब निकला था घर से अपने मैं अब न पूछो मुझ से की दिल से निकला मेरे जहां कैसे है कभी मिले फुरसत तो पढ़ना मेरी तन्हाइयों को मालूम हो जाएगा तुम्हे भी , आंखों में लहू उतरता कैसे है ओर जिसको समझूं अपना वो एक ही बात समझा के चला जाता है छोड़ आदिल मुहब्बत, दिल्लगी, दीवानगी , चल वैसे ही, चाहता ये जमाना जैसे है ना सिखाओ मुझे अब चलना कैसे है चलूंगा मैं अब वैसे ही , चाहता ये ज़माना जैसे है...Als...self comp. ©Als. #ditch